कालियदमन कान्हा सुमिरन
खुल गया कामना का बंधन
अब मुक्त व्योम की शोभा में
खिल रहा श्याम का ही चिंतन
वह हर चिंता से छूट गया
मन में छाई बांकी चितवन
उल्लास प्रेम सेवा लाये
केशव करूणा महके आँगन
लो ज्योति जगी उस वैभव की
जो दिखलाए है मनमोहन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ नवम्बर 2010

No comments:
Post a Comment