मधु सूदन की बात सुना कर लुभा मुझे
नन्द नंदन का साथ दिला कर रिझा मुझे
माँ तेरी तो बात मानता है कान्हा
कह ना उसको, संग में अपने खिला मुझे
पी पीकर फिर प्यासा होना बहुत हुआ
परमतृप्ति का घूँट तो अब तू पिला मुझे
नित्य श्याम सुमिरन का चस्का चाहूं मैं
अब ना भाये, और कोई सिलसिला मुझे
अशोक व्यास
अमेरिका
रविवार, १६ जनवरी 2011

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