पूजा में मन नहीं
ध्यान से भागे है मन
सपनो की सौगात लिए
चंचल है चितवन
है बिखराव अपार
परिष्कृत मुझको कर दो
कृपा दृष्टि से अपनी
ओ प्यारे मुधुसूदन
उत्सव एक वही सच्चा
यह जान लिया है
जिसमें मिलता चिन्मय, मधुमय
श्याम का सुमिरन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ जून २००८ को लिखी
३१ मई २०११ को लोकार्पित
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