उत्तम, अनुपम बात सुनाने
एक मौन
उतरा मन आँगन,
दिव्य दिवाकर हुए प्रखर
शबों में जागी
कृपा की किरण
उजियारा भर अंतस में
छलकाया उल्लास श्याम ने
हटी क्षुद्रता, मिट गयी सीमा,
अपनाया कर रास श्याम ने
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जून १०, २००८ को लिखी
जून १, २०११ को लोकार्पित
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