1
एक सहज और सरल काम है
सुमिरन करना नित्य नाम है
हर उलझन के पार लगाए
मन में जाग्रत कृष्णधाम है
२
गोविन्द गोविन्द गोविन्द गा
ले श्रद्धा के पर, उड़ जा
आत्मसुधा रस पान किये जा
निश्छल प्रेम लिए बढ़ जा
३
भज कृष्ण सदा मन
प्रेम मगन
बहती आये है
कृपा पवन
हर कण उसकी
आभा चहके
है मंगल, सरस
करुण साजन
अशोक व्यास
१२ और १७ अक्टूबर २००९ को लिखी
१ जुलाई २०११ को लोकार्पित
No comments:
Post a Comment