Sunday, July 3, 2011

करूणामय है मित्र कन्हाई


मंत्र जाप कर लिया कोरा कोरा
दिखाई नहीं दिया गोकुल का छोरा
खिला प्रभात उस क्षण अपने मन
जब कान्हा को सौंपा 'मैं' का बोरा

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अपने दर की दिशा बताई
करूणामय है मित्र कन्हाई
सांस वास कर प्यास दिखाई
सुमिरन रस से तृप्ति कराई 
गोवर्धनधारी की जय जय
जय भक्तो के सदा सहाई


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
६ और ७ सितम्बर २००९ को लिखी
३ जुलाई २०११ को लोकार्पित          

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