मंत्र जाप कर लिया कोरा कोरा
दिखाई नहीं दिया गोकुल का छोरा
खिला प्रभात उस क्षण अपने मन
जब कान्हा को सौंपा 'मैं' का बोरा
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अपने दर की दिशा बताई
करूणामय है मित्र कन्हाई
सांस वास कर प्यास दिखाई
सुमिरन रस से तृप्ति कराई
गोवर्धनधारी की जय जय
जय भक्तो के सदा सहाई
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
६ और ७ सितम्बर २००९ को लिखी
३ जुलाई २०११ को लोकार्पित
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