Tuesday, September 6, 2011

वही सहारा पूछूं तुमसे

जुलाई १२, १९९५ को भारत में लिखी पंक्तियाँ 
 



क्रीडा करने वाले गिरिधर
    कृपा तुम्हारी है नित सब पर
 
प्रतिदिन लिख कर पत्र
प्रभुजी, 
पता तुम्हारा पूछूं तुमसे
सदा रहे सर्वत्र
 श्याम जो      
   वही सहारा पूछूं तुमसे



छवि तुम्हारी
किसने बांधी
सबको बांधे हो तुम मोहन
सारा जग 
  हो जाए अपना
 जब जागे तुम संग अपनापन


अशोक व्यास, न्यूयार्क     

1 comment:

Rakesh Kumar said...

प्रतिदिन लिख कर पत्र
प्रभुजी,
पता तुम्हारा पूछूं तुमसे
सदा रहे सर्वत्र
श्याम जो
वही सहारा पूछूं तुमसे

मुझे भी प्रभु को पत्र लिखना
सिखा दीजियेगा न,अशोक भाई.