मन मोहन की बात निराली
उसके संग चले हरियाली
२
कृष्ण सखा के साथ निकल ले
मस्ती में सब भुला के चल ले
माखन खाने का अवसर है
बस थोडा स्वभाव बदल ले
३
मनमोहन के नाम जीत है, नाम उसी के हार
सब कुछ जब उसका हो जाए, हर दिन है त्यौंहार
४
उत्सव साँसों में सुमिरन का, धड़कन में उल्लास
पूंजी पावन करने वाली, श्याम नाम की प्यास
५
अब तक जहाँ जहाँ संशय है
वहां वहां पर ठहरा भय है
जिसका मन मोहन में तन्मय
वो तो नित्य रहे निर्भय है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ सितम्बर २०११
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