Sunday, September 25, 2011

है शरण उसी की नित संबल


श्री कृष्ण प्रभु के चरण कमल
छलके करूणा ज्योति उज्जवल
नित श्याम प्रेम पथ बढे चलो
है शरण उसी की नित संबल 



अशोक व्यास
१३ नवम्बर २००६ को लिखी
२५ सितम्बर २०११ को लोकार्पित    

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