Thursday, September 1, 2011

अपने अनंत गौरव में


मैं हैरत से देखता हूँ
अपने होने का कमाल
एक कुछ
बिना बदले
बदलता जाता हर साल

इस अपरिवर्तनीय की
बांह पकड़ कर
 क्यूं कुछ कहना 
  क्यूं  कुछ सुनना 
 बस अपने अनंत गौरव में
तन्मय होकर 
रमे रहना

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सितम्बर ३०, २००७ को लिखी
 १ सिताब्मर २०११ को लोकार्पित    

1 comment:

Rakesh Kumar said...

आप तन्मय होकर रमे रहिएगा.
हमें भी रमाते रहिएगा.
जीवन सफल हो जायेगा.

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.