मैं हैरत से देखता हूँ
अपने होने का कमाल
एक कुछ
बिना बदले
बदलता जाता हर साल
इस अपरिवर्तनीय की
बांह पकड़ कर
क्यूं कुछ कहना
क्यूं कुछ सुनना
बस अपने अनंत गौरव में
तन्मय होकर
रमे रहना
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सितम्बर ३०, २००७ को लिखी
१ सिताब्मर २०११ को लोकार्पित
1 comment:
आप तन्मय होकर रमे रहिएगा.
हमें भी रमाते रहिएगा.
जीवन सफल हो जायेगा.
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
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