गुरुकृपा का आसरा
मिले भक्ति और ज्ञान
सांस लगे अनमोल अब
दिव्या सुधा रस खान
मोहन मोहन मन मगन
उमड़ रहा आनंद
अनुग्रह से जाग्रत हुए
शाश्वत श्रद्धा छंद
गुरुचरण चित लग गया
है अटूट विश्वास
गुरु अनुग्रह से मिट रही
युगों युगों की प्यास
बैठ हृदय में, कर रहे
शासन संवित राज
करूणा रस में भीग कर
धन्य हो गया आज
११ मई २००८ को लिखी
५ अगस्त २०११ को लोकार्पित
1 comment:
मोहन मोहन मन मगन
उमड़ रहा आनंद
अनुग्रह से जाग्रत हुए
शाश्वत श्रद्धा छंद
आपके आगमन का हृदय से स्वागत है.
आपके 'छंद' ने मग्न कर दिया है मन को.
गुरू कृपा सदा सदा ही बरसती रहे आप पर.
कुछ छींटें पडतें रहेंगें यूँ ही तो मेरा भी
बेडा पार हो जायेगा.
मैं आपका इंतजार ही कर रहा था.
Post a Comment