१
उद्गम
प्रवाह
गति
लय
अनुबंध
उल्लास
विश्वास
महारास
२
पोंछ कर
दिन-रात का अंतर
साँसों में
मुस्कुराये शिव शंकर
खोने-पाने से परे
गूँज उठा
अक्षय तृप्ति का स्वर
३
सार
उजियारा
विस्तार
अमृत
आत्मीय पगडंडी
पीपल की छाँव
विश्रांति
विराम
खुल गया
पूर्णता का पैगाम
४
अभी दृश्यमान
अभी ओझल
कौन नहीं है चंचल
किनारे के मोह में
खुला नहीं लंगर
देख नहीं पाए
लहरों का घर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३१ अगस्त २०११
No comments:
Post a Comment