Friday, August 19, 2011

श्याम की बंशी


श्याम की बंशी सुनने 
सब सखियाँ एकत्रित हो गयीं

  श्याम कदम्बवृक्ष के टेक लगा कर खड़े हुए
 मुरली अधरों पर लगा कर

कुछ गोपियाँ प्रतीक्षा करने लगीं
  कान्हा को देखते देखते तन्मय हो गयी

  जो तन्मय नहीं हो पायीं
 वे प्रतीक्षा करती रहीं

 लौटते हुए 

 एक सखी ने दूसरी से कहा
 "आज तो कान्हा की
  बंशी ने मन मोह लिया"

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१९ अगस्त २०११  

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