श्याम की बंशी सुनने
सब सखियाँ एकत्रित हो गयीं
श्याम कदम्बवृक्ष के टेक लगा कर खड़े हुए
मुरली अधरों पर लगा कर
कुछ गोपियाँ प्रतीक्षा करने लगीं
कान्हा को देखते देखते तन्मय हो गयी
जो तन्मय नहीं हो पायीं
वे प्रतीक्षा करती रहीं
लौटते हुए
एक सखी ने दूसरी से कहा
"आज तो कान्हा की
बंशी ने मन मोह लिया"
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१९ अगस्त २०११
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