Wednesday, August 10, 2011

सारा जग उसका आँगन


अनुपम, अद्भुत, श्याम सखा संग
 नित्य निरंतर रम ले मन

उसका सुमिरन संबल हर पग
सारा जग उसका आँगन

 मन कान्हा से बात कर
क्यूं करता संकोच
एक उसी पर ध्यान धर
छोड़ जगत की सोच


अशोक व्यास
 न्यूयॉर्क, अमेरिका          
  ९ और २० नवम्बर २००९ को लिखी
 १० अगस्त २०११ को लोकार्पित

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