१
अनुपम, अद्भुत, श्याम सखा संग
नित्य निरंतर रम ले मन
उसका सुमिरन संबल हर पग
सारा जग उसका आँगन
२
मन कान्हा से बात कर
क्यूं करता संकोच
एक उसी पर ध्यान धर
छोड़ जगत की सोच
अशोक व्यास
न्यूयॉर्क, अमेरिका
९ और २० नवम्बर २००९ को लिखी
१० अगस्त २०११ को लोकार्पित
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