Sunday, August 7, 2011

आँगन में मंगल ध्वनि

 
सजता, संवरता मन
कविता के साथ बन-ठन
 
मुस्कुराता है, देख कर
प्यारा मनमोहन
 
आँगन में मंगल ध्वनि
आशीषों की बदली घनी
 
उत्सव की निराली छटा
मधुमय हर बात बनी 
 
 
अशोक व्यास
२२ जून २००८ को लिखी
     ७ अगस्त २०११ को लोकार्पित         

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