मनमोहन की बात से
हर पग हो गया प्यारा
दिशा दिशा संग हो गया
रिश्ता नया हमारा
केशव के करूणा नयन
देते हैं उपहार
सांस सांस को मिल रही
श्रद्धा की पतवार
अनुभव गंगा को करें
पावन गोपीनाथ
घर-आँगन मंगल छाता
स्वर्णिम दिव्या प्रभात
बोल सांवरे के कहें
अहा! बंशी की तान
श्रवण किये, अमृत मिला
छूटी लघु पहचान
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जून २१ २००८ को लिखी
६ अगस्त २०११ को लोकार्पित
No comments:
Post a Comment