गुरुचरणन भज गुरु चरनन
स्वर्णिम आभा पाए मन
मिटे सहज सब भव बंधन
पुष्टि करे संवित आँगन
गुरु चरणन भज श्री चरणन
पथ मंगलमय और पावन
यहाँ सुवासित शास्त्र वचन
शुद्ध-बुद्ध निष्पाप करे
कृपा नाव सदगुरु दरसन
गुरु चरणन भज गुरु चरणन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ मार्च २००८ को लिखी
१४ अगस्त २०११ को लोकार्पित
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