कृपा लिखो मनमोहन की
या कथा लिखो मनमोहन की
आनंद अपार लुटाये है
ये छटा सांवरी चितवन की
मुरली मुख शोभा पाय गई
झांकी अनंत अपनेपन की
मनमोहन की हर बात मधुर
बहे पवन दिव्य वृन्दावन की
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ अक्टूबर २००६ को लिखी
१६ सितम्बर २०११ को लोकार्पित
1 comment:
आपकी सुन्दर सुन्दर मधुर मधुर सहज
अभिव्यक्ति मनमोहन की अनुपम कृपा ही है.
जिसका प्रसाद हमें भी मिल रहा है.
मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.
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