Friday, June 10, 2011

मन मगन श्याम के सुमिरन में


मन मगन श्याम 
के सुमिरन में
घुल गया है अमृत
कण कण में

अब लोभ मोह सब
छोड़ सखी
है छटा अनंत की
नयनन में 
चल पनघट गगरी धर आयें
अब खाली हाथ ही घर जाएँ

अब प्यास गयी
उन्मुक्त, तृप्त सब मधुबन में
मन मगन श्याम के सुमिरन में 

अशोक व्यास
५ नवम्बर २००९ को लिखी
९ जून २०११ को लोकार्पित  
    

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