अवस्था वो
किस जिसमें
श्याम बिन कुछ भी
नहीं सूझे
अवस्था वो
की जिसमें
श्याम खुद मेरा
पता पूछे
वहां जाने के बारे में
सोचना
बंधन बढ़ाना है
जो खुद खुल जाए है
वो प्रेम का
शाश्वत खज़ाना है
मैं जिसके पास
बैठा हूँ
कहूं क्यूं उससे फिर ऐसे
कहाँ हो तुम
मुझे तुमको बुलाना है
जय श्री कृष्ण
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ नवम्बर २००९ को लिखी
११ जून ११ को लोकार्पित
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