Saturday, June 18, 2011

निज आनंद लुटाये


कान्हा करुणा सागर
निज आनंद लुटाये
कान्हा सुमिरन संग लिए 
सारा जग भाये

मनमोहक उसकी हर बात
प्रेम पथ पर ले जाए
सार खिले साँसों में
श्याममय जग दिख जाए

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ सितम्बर २००९ को लिखी 
१८ जून २०११  को लोकार्पित        

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