Wednesday, June 29, 2011

चरण चिन्ह मुरलीधर के


और फिर एक बार
खोकर वृन्दावन में
भूल कर रास्ता
अनजान पगडण्डी पर
भटकते भटकते
एक दरख्त से दूसरे दरख़्त तक

एक प्यास से दूसरी प्यास तक
ढूंढते ढूंढते
चरण चिन्ह मुरलीधर के

आखिर सारी खोज
श्याम को सौंपी उसने
और
सहसा दे गया वो दिखाई
सुरभित हुई पुरवाई
पहचान की कालजयी पवन
माधुर्य भर लाई 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ जून २०११    
       
    

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