और फिर एक बार
खोकर वृन्दावन में
भूल कर रास्ता
अनजान पगडण्डी पर
भटकते भटकते
एक दरख्त से दूसरे दरख़्त तक
एक प्यास से दूसरी प्यास तक
ढूंढते ढूंढते
चरण चिन्ह मुरलीधर के
आखिर सारी खोज
श्याम को सौंपी उसने
और
सहसा दे गया वो दिखाई
सुरभित हुई पुरवाई
पहचान की कालजयी पवन
माधुर्य भर लाई
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ जून २०११
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