Monday, June 27, 2011

चल श्याम सुन्दर में रम जाएँ


मन आनंद का उपहार लिए
श्रद्धा का नित श्रृंगार किये
गिरिराज धारण की शोभा को
धारण कर, सीमा पार प्रिये


चल श्याम सुन्दर में रम जाएँ
चहुँओर श्याम को हम पायें
जिस स्थिरता से गति सतत
उस द्वन्द रहित  में थम जाएँ

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१९ अक्टूबर २००९ को लिखी
२७ जून २०११ को लोकार्पित            

1 comment:

Rakesh Kumar said...

चल श्याम सुन्दर में रम जाएँ
चहुँओर श्याम को हम पायें
जिस स्थिरता से गति सतत
उस द्वन्द रहित में थम जाएँ

अशोक जी, आपका एक एक शब्द
श्याम के रंग से ओतप्रोत है.
स्वाभाविक रूप से मन को श्याम की
ओर उन्मुख कर रहा है.आभारी हूँ
आपके इस भक्ति-रस को छलकाने से.