Friday, February 15, 2013

रूप सुहाना श्याम का

 
 
रूप सुहाना श्याम का 
मधुर मुरलिया हाथ 
लुका छुप्पी खेलता, 
कान्हा सबके साथ 
2
 
राधा बरजोरी करे
 सखियों को ले साथ
कान्हा से कान्ही बने
आये ब्रज के नाथ 
 
3
 
होरी खेलन आ गयी 
गोपिन  गोकुल धाम 
प्रेम रंग की धार से 
भीग गए घनश्याम 
 
4
 
मंगल मोहन मधुमय सुमिरन 
मधुर भाव में नित्य मगन मन 
अमृत झरता उसकी छवि से 
जाग्रत सतत कृपा का सावन 
 
संबल श्याम चरण से पाया 
गीत मुक्ति का रसमय गुंजन 
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क  
बहुत बरस पुरानी रचना 
कम से कम 16 बरस पूर्व 
जयपुर में लिखे गए शब्द 
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जय श्री कृष्ण
15 फरवरी 2013
वसंत पंचमी के दिन 
जय हो 

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