आनंद ताल
नंदलाल संग
नित मुदित प्रेम मन
काल संग
चल झूमे
व्रज वन में डोलें
होवें निहाल
गोपाल संग
जो नाच नचाये है
सबको
मिल रहे कदम
उस ताल संग
ओ सार सरस
केशव प्यारे
कर कृपा करो
इस साल दंग
तुम साथ निरंतर
हो कान्हा
क्यूं फंसूं
जगत जंजाल संग
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ जनवरी २००६ को लिखी
३१ अगस्त २०१० को लोकार्पित