Saturday, August 6, 2011

श्रद्धा की पतवार



मनमोहन की बात से
हर पग हो गया प्यारा
दिशा दिशा संग हो गया
रिश्ता नया हमारा

केशव के करूणा नयन 
देते हैं उपहार
सांस सांस को मिल रही
श्रद्धा की पतवार

अनुभव गंगा को करें
पावन गोपीनाथ
घर-आँगन मंगल छाता
स्वर्णिम दिव्या प्रभात

बोल सांवरे के कहें
अहा! बंशी की तान
श्रवण किये, अमृत मिला
छूटी लघु पहचान


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जून २१ २००८ को लिखी
६ अगस्त २०११ को लोकार्पित                   

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