Tuesday, August 16, 2011

प्रीत पथ की बाधा


कान्हा ने फिर खींचा 
हाथ बढ़ा कर अपना
बोला सच्छा साथ मेरा
बाकी सब सपना

   चलते चलते  मधुर भाव
मन में जब जागा
तन्मयता से दूर हुई
प्रीत पथ की बाधा


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ मार्च २००८ को लिखी
 १६ अगस्त २०११ को लोकार्पित

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