Saturday, August 20, 2011

कृष्ण प्रेम की प्यास


मन गुरु महिमा गा ले
  मन कृष्ण प्रेम पा ले
 करूणा सिन्धु, ज्ञानमेघ गुरु
 ह्रदय से अपना ले
     मन गुरु महिमा गा ले



कृष्ण सुनाये बांसुरी 
 कृष्ण रचाए रास 
  मन को वृन्दावन करे 
  कृष्ण प्रेम की प्यास 

   कृष्ण मिलन की आस है 
कृपा नगर में वास
  मोह लिया है कृष्ण ने 
हुआ परम विश्वास 


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
  2  और ४ अप्रैल २००८ को लिखी  
 २० अगस्त २०११ को लोकार्पित

1 comment:

Rakesh Kumar said...

कृष्ण मिलन की आस है
कृपा नगर में वास
मोह लिया है कृष्ण ने
हुआ परम विश्वास

आपने तो मंजिल प्राप्त कर ली है,अशोक भाई.
'भवानी' और 'शिव' की पूर्ण कृपा है आप पर.
भक्ति ही जीवन का सार है.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.