Wednesday, August 24, 2011

श्याम मिलन

 
मन लहर लहर बहता जाए 
 पर श्याम मिलन छूटा जाए
 आनंद उतर आये उस पल
  जिस पल सुमिरन रस पा जाए

 
अब तक भटके 
इत-उत अटके 
 मन दिखलाये
लटके झटके 
 चल श्याम पिया 
का दरस करे 
जग के हर संकट 
से हटके 

 
 
मैं केशव का 
गुणगान करूँ
बंशीवाले का 
ध्यान धरूँ

जिसके चरणन
 हर तीर्थ है 
  उसके चरणन का
  ध्यान धरूँ

अशोक व्यास
१० फरवरी २००८ को लिखी
 २३ अगस्त २०११ को लोकार्पित

1 comment:

Rakesh Kumar said...

मन लहर लहर बहता जाए
पर श्याम मिलन छूटा जाए
आनंद उतर आये उस पल
जिस पल सुमिरन रस पा जाए

सुमिरन रस अदभुत है,प्रभु प्रसाद ही है.
चित्त को शान्त् कर,प्रभु में रमा देता है.
आप धन्य हैं,जो आप उसके ध्यान में मग्न हैं.