Tuesday, September 13, 2011

न जाने कैसे हरियाली छाई

(फोटो- अशोक व्यास)


उसने दोनों हाथ उठा कर
बहती पवन संग
गगन तक भेजा सन्देश
भेज दो
भेज दो
काव्य सरिता
भाव बीज लगाए हैं

पवन ने सुन कर अनसुना कर दिया
पर अज्ञात ने सुन कर
करूणा बरसाई
न जाने कैसे हरियाली छाई



हर दर तेरा दर है
मेरे श्याम सखा
ध्यान तेरा देता है
चिर आराम सखा

धन्य हुआ पाकर 
सुमिरन रस ओ कान्हा
साथ चले है हर पल
तेरा नाम सखा


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका            

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