Monday, September 26, 2011

रहते सब संसार


कान्हा तो मुसकाय रहे थे
हमहूँ न देखे
मधुर मधुर कछु गाय रहे थे
जीवन के लेखे
दरस किये जब ध्यान पडा तब
महिमा अपरम्पार
कान्हा मुरलीधर दीखते पर
रहते सब संसार


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ नवम्बर २००६ को लिखी
२६ सितम्बर २०११ को लोकार्पित          

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