Friday, September 30, 2011

तुम्हारी बंशी


इस बार कान्हा ने अपनी बंशी अधरों पर नहीं लगाई
उसे दे दी
कहा
'तुम बजाओ'
पर 'मैं'
मुझे तो बंशी बजाना आता ही नहीं
'मैं' कैसे ये साहस कर सकता हूँ
सारा जगत तुम्हारी बंशी सुनना चाहता है कृष्ण


कृष्ण हँसे 
तुम मेरे सामने 'मैं' से चिपके रह कर
मेरी बात न मानने का साहस कर सकते हो
पर मेरे कहे से बंशी नहीं बजा सकते?


अपनी गलती समझ कर
उसने कान पकडे
कृष्ण से कहा 'बंशी' दें

कृष्ण मुस्कुराये

अभी तुम्हारे द्वारा बंशी बजाने का 
समय नहीं आया
पर 'मैं' को छोड़ कर
इस अवसर के लिए
तैय्यारी बढाने का अवसर आया है

"मुझे पकड़ लो न
शेष सब स्वतः छूट जाएगा'


अशोक व्यास
वर्जिनिया, अमेरिका
३० सितम्बर २०११            

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