Tuesday, September 27, 2011

जय नंदनंदन


मनमोहन आनंद सदन
सुमिरन रस देकर
धन्य करे,
तव कोमल, उज्जवल
दिव्य दरस
मन को श्रद्धा में 
मगन करे,

बजे प्रेम बांसुरी
रोम रोम
सिरहन जागे
पावन करती
जय नंदनंदन
जग सकल करे


अशोक व्यास
२७ नवम्बर २००६ को लिखी
२७ सितम्बर २०११ को लोकार्पित        

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