Tuesday, October 4, 2011

दिव्य छटा री


राधा प्यारी
लाज की मारी
देखे
मोहन की पिचकारी
अंगिया भीगी
अँखियाँ रीझी
प्रेम छुपा
मुख रख दी गारी
आँगन आँगन
रंग का सावन
मधुर मुरलिया
दिव्य छटा री

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका 
३० नवम्बर २००६ को लिखी
४ अक्टूबर २०११ को लोकार्पित             

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