Thursday, October 13, 2011

चिर मस्ती का गान

जय श्री कृष्ण

कान्हा की मुस्कान पर सदा दीजिये ध्यान
आनंद आनंद हो रहे हर मुश्किल आसान

बिन मांगे सब दे रहा कान्हा कृपानिधान
निर्भय, निर्मल, सकल जग, सुन-सुन बंशी तान

अतुलित वैभव प्रेम का, करूणामृत अनमोल
कंकर-पत्थर छोड़ मन, बस कान्हा कान्हा बोल

अधर धरे बंशी नहीं, तब भी नयन सुजान
सुना रहे संकट हरण, चिर मस्ती का गान


अशोक व्यास
१४ दिसंबर २००६ को लिखी
१३ अक्टूबर २०११ को लोकार्पित    

No comments: