जय श्री कृष्ण
कान्हा की मुस्कान पर सदा दीजिये ध्यान
आनंद आनंद हो रहे हर मुश्किल आसान
बिन मांगे सब दे रहा कान्हा कृपानिधान
निर्भय, निर्मल, सकल जग, सुन-सुन बंशी तान
अतुलित वैभव प्रेम का, करूणामृत अनमोल
कंकर-पत्थर छोड़ मन, बस कान्हा कान्हा बोल
अधर धरे बंशी नहीं, तब भी नयन सुजान
सुना रहे संकट हरण, चिर मस्ती का गान
अशोक व्यास
१४ दिसंबर २००६ को लिखी
१३ अक्टूबर २०११ को लोकार्पित
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