Sunday, October 16, 2011

मौन है सुन्दर

 
मौन है सुन्दर
कृपा नगर है
सांस श्याम संग
आठ पहर है
सबमें जाग रहा
उजियारा
पथ प्रदीप्त है
पावन प्यारा
 
दिव्य धरा है
चिद अम्बर है
क्षण क्षण शाश्वत 
सतत मुखर है
 
अमृत घट
लाये गुरुवर हैं
प्यासा हूँ
पीना छक कर है
 
गुरु दृष्टि से पीनेवाला
हो जाता ऐसा मतवाला
 
पग पग
प्रकटित दिव्य डगर है
अतुलित 
वैभव शाली घर है
 
मौन है सुन्दर
कृपा नगर है
सांस श्याम सुमिरन से
तर है 
 
 
अशोक व्यास
 
न्यूयार्क, अमेरिका       

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