Wednesday, October 5, 2011

मन कान्हा का पावन दर्पण


मन अमृत
मन वृन्दावन
मन श्याम सुन्दर
मन गोवर्धन
मन प्रेम डगर
मन श्याम नगर
मन कान्हा का
पावन दर्पण


अमृत प्यास जगाना कान्हा
अपनी और बुलाना कान्हा
जिससे महिमा बढे तुम्हारी
सिखलाना वो गाना कान्हा


अशोक व्यास
७ और ८ नवम्बर २००६ को लिखी
५ अक्टूबर २०११ को लोकार्पित              

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