Tuesday, October 18, 2011

सुन विराट के स्वर


दिल कहता है
सुन्दर मौन छिड़क 
सारी धरती को अपनाऊँ

स्पंदन जिसका
कण कण में
गीत उसी के दोहराऊँ

मुक्त सांस में
सुन विराट के स्वर
लहरों में मिल जाऊं

उसमें डूबूं
जिससे गहराई संग
ऊंचाई पाऊँ

धुप किनारे 
खड़ा देर से
किरण किरण उसको ध्याऊँ

कहना अब
इतना कान्हा से
कहे-सुने से तर जाऊं 

अशोक व्यास
१४ नवम्बर ९९             

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