Friday, September 16, 2011

मनमोहन की हर बात मधुर

 
कृपा लिखो मनमोहन की
या कथा लिखो मनमोहन की
आनंद अपार लुटाये है
ये छटा सांवरी चितवन की
मुरली मुख शोभा पाय गई 
झांकी अनंत अपनेपन की

मनमोहन की हर बात मधुर
बहे पवन दिव्य वृन्दावन की 
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
८ अक्टूबर २००६ को लिखी
१६ सितम्बर २०११ को लोकार्पित   

1 comment:

Rakesh Kumar said...

आपकी सुन्दर सुन्दर मधुर मधुर सहज
अभिव्यक्ति मनमोहन की अनुपम कृपा ही है.
जिसका प्रसाद हमें भी मिल रहा है.

मेरी नई पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.