1
नाम उजागर श्याम सखा का
मन में हुआ सखी री
यह सुख ऐसा बिरला पावन
हो गई धन्य अहीरी
२
ताल थपा थप
थप थपा थप
कान्हा किसको
छू जाए कब
हर्षित
उल्लसित
पुलकित
प्रमुदित
करूण श्याम की
कृपा
तरंगित
यह उल्लास करूण मनभावन
जाग्रत सतत प्रेम का सावन
करे हिलोर अनूठी आभा
ध्यानमयी हर पग, हर गप-शप
ताल थपा थप
थप थपा थप
छू कान्हा को
मगन मधुर सब
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ मयी २००४ को लिखी
२ जुलाई २०१० को लोकार्पित
No comments:
Post a Comment