Monday, July 5, 2010

मेरे आत्म सखा



काम दहन करने वाले हो
या हो कामसखा

तुम रसलोभी भँवरे हो
या हो  मेरे आत्म सखा
 
'थाप' सुनूं जब द्वार बजे 
और लग जाए कोई आया
पर बंशी वाले ने तो
आ द्वार सकल हटवाया 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ मई ०४ को लिखी
४ जुलाई २०१० को लोकार्पित 


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