Tuesday, July 13, 2010

हर क्षण कान्हा का रास लगे


श्री कृष्ण नाम लगे प्यारा
बहती आये अमृत धारा
घनश्याम शरण पाई जबसे
अपना अपना है जग सारा
 
मोहन के मीठे वचन मगन 
बंशी दिखलाए दिव्य स्वपन 
नित श्याम सलोना मुख दीसे 
वृन्दावन वासे है अब मन

हर्ष और उल्लास जगे
जब मनमोहन की प्यास जगे
कण कण में आनंद धार बहे
हर क्षण कान्हा का रास लगे
 
प्रेम और विश्वास जगे
मोहन का मंगलवास जगे
हर नाम सुनूं यमुनातट पर
और प्रीत भरा आकाश लगे


अशोक व्यास
२८ नवम्बर १९९४ को लिखी
१३ जुलाई २०१० को लोकार्पित





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