1
श्याम नाम के आसरे
चले सो गोता खाय
एक सखी हँस कर कहे
बिन डूबे क्या पाय
२
शब्द परे जा
ले आलोक
नहीं प्रेम पर
कोई रोक
बहे कृपा का सार निरंतर
चल अनंत स्वर से अंतस भर
जगा नई श्रद्धा के गीत
सुनो मधुर शाश्वत संगीत
अशोक व्यास
३१ मार्च ०४ और ११ अप्रैल ०४ को लिखी पंक्तियाँ
४ जुलाई २०१० को लोकार्पित
1 comment:
अतिसुन्दर।
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