Wednesday, July 14, 2010

मिलना चलना एक बने जब


लहर वही
जो बना किनारा
चुप में भी
बस उसे पुकारा

वह छू मुझको
गतिमय करता
तट का पत्थर
बनता धारा

छोड़ शेष सब
मिलूँ उसे कब
मिलना चलना
एक बने जब
होना सचमुच 
होना हो तब
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ फरवरी १९९४ को लिखी
१४ जुलाई २०१० को लोकार्पित 



1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुतिकरण