Friday, June 3, 2011

तादात्म्य हुआ संवित घन से


आत्म प्रतिष्ठा
गुरु में निष्ठा

श्री कृष्ण चरण रज माथे पर
चिन्मय, मधुमय, पावन, हर स्वर



बतियाँ करने जब लालन से
पहुँची तत्पर हो तन मन से
सब बात घुली, एक बात हुई
तादात्म्य हुआ संवित घन से



अब छोड़ दिया छल वाला तल 
और थाम लिया केशव उज्जवल
अब ध्यान उसी का साथ सदा
पावन, मंगल, कण कण प्रति पल


अशोक व्यास
न्यूयार्क,  अमेरिका
३ अगस्त २००९ को लिखी
३ जून २०११ को लोकार्पित                

1 comment:

Pulin said...

अत्युत्तम
कृपया संवित का अर्थ बतावें