Thursday, June 30, 2011

मौन स्वर्ण सा


जय श्री कृष्ण

कृष्ण रटन में
श्याम जपन में
वो ही मन में
वो ही तन में

उससे मिलने 
करूँ जतन मैं

कृपा बिना कुछ 
हाथ ना आवे
मान संग वह
साथ न आवे

उसको अर्पण
मधुर समर्पण
ध्येय एक
श्री श्याम चरण

श्याम श्याम जय
कृष्ण धाम जय
कृष्ण कृष्ण जय
राधे-कृष्ण जय

मुरली मनोहर
अमर प्रेम स्वर
मौन स्वर्ण सा
   जय योगेश्वर     

अशोक व्यास
९ अगस्त १९९७ को जयपुर में लिखी पंक्तियाँ
३० जून २०११ को नेव्यूयार्क से लोकार्पित           

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