Sunday, June 12, 2011

ज्योतिर्मय पावन मधुसूदन


अनुपम, सुन्दर श्याम सलौना
आया लेकर दिव्य खिलौना
साँसों की चाबी भर मुझ में
दिया धरा का गज़ब बिछौना

हुई आज येह कैसी बात
मधुर बड़ा है आज प्रभात
जिसे याद करता दिन-रात
थामा उसने मेरा हाथ

ज्योतिर्मय पावन मधुसूदन
उसका है सब, उसको अर्पण
सुमिरन का दुर्लभ है यह धन
जिससे अपना हर क्षण, हर कण

जय श्री कृष्ण

अशोक व्यास
न्यूयार्क अमेरिका
           २१ अगस्त २००९               

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