Sunday, June 26, 2011

नंदलाल में मन रमा


लालन लालन मैं करूँ
और न दूजा काम
नंदलाल में मन रमा
आनंद रस अविराम

वो साथी, रक्षक वही
उससे प्रकटे प्यार
सुमिरन उसका सांस मैं
सुन्दर जग व्यवहार


अशोक व्यास
१३ नवम्बर २००९ को लिखी
२६ जून २०११ को लोकार्पित        

1 comment:

Rakesh Kumar said...

लालन लालन मैं करूँ
और न दूजा काम
नंदलाल में मन रमा
आनंद रस अविराम

अविराम आनंद रस के चिंतन से मन आनंद रस में डूब डूब जाता है.