Monday, June 20, 2011

शाश्वत खुद बन गया खिलौना


अनुपम सुन्दर श्याम सलौना
जय हो
शाश्वत खुद बन गया खिलौना
जय हो
उद्भासित है दिव्य ज्योत्स्ना
प्रमुदित सृष्टि का हर कोना
जय हो

आनंद का आगार दिवाकर
नित्य प्रेम कर रहा उजागर
जाग्रत उनसे विश्व चेतना
देख रहे वो हमें जगा कर

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ अगस्त २००९ को लिखी
२० जून २०११ को लोकार्पित          

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