Tuesday, November 2, 2010

जाग्रत रखता मुझसे नाता




 
 
"सूर्य किरण में
नित्य पवन में
क्षण क्षण कर
आलिंगन तेरा

रचने का आनंद उठाने
बार बार 
तुझसे बतियाता
तुम इतना करना
ओ कान्हा!
जाग्रत रखता मुझसे नाता '
 

३० जून २००४ को लिखी
२ नवम्बर २०१० को लोकार्पित

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